झलोखर में हुआ श्रीमद् भागवत कथा का समापन

                           अजय कुमार गुप्ता                               

 श्री कृष्ण व सुदामा की दोस्ती की मिसाल युगों युगों तक प्रेरणा देती रहेगी- वीरेंद्र स्वरूप द्विवेदी कथा व्यास

 3 नवंबर को होगा विशाल भंडारे का आयोजन

हमीरपुर, कुरारा विकास खंड के झलोखर गांव स्थित सिद्धेश्वर आश्रम चल रही श्रीमद् भागवत कथा महापुराण में कथा व्यास वीरेंद्र स्वरूप दिवेदी ने सुदामा चरित्र की मनोरम कथा का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि सुदामा की पत्नी सुशीला ने अपनी गरीबी का वास्ता देकर उनके बाल सखा 16 कलाओं के स्वामी भगवान श्री कृष्ण के पास जाकर सहायता मांगने को द्वारिका भेज दिया।


द्वारिकाधीश को भेंट देने के लिए एक पोटली में चावल भेजे। लेकिन वहां पर भी उनके बाल सखा सुदामा ने चावल की पोटली नही दी । तब श्रीकृष्ण ने उनके हाथ से चावल की पोटली लेकर दो मुठ्ठी चावल खाकर दो लोक दे दिए। तीसरी मुठ्ठी चावल खाने वाले थे तभी रुक्मिणी ने भगवान का हाथ थाम लिया कि आप सर्व लोक दे देंगे। सुदामा व श्रीकृष्ण के बचपन की दोस्ती की मिशाल आज भी जीवन्त है। उनकी दोस्ती की मिसाल युगों युगों तक प्रेरणा देती रहेगी| कथा का आज अंतिम दिन था। परिक्षित मोक्ष की कथा श्रवण कराई। परीक्षित कालका दीक्षित, सेवा राम दीक्षित, मिथलेश दीक्षित, आदि मौजूद रहे।कार्यक्रम संयोजक रसिक इंटर नेशनल इवेंट ग्रुप के सत्य भूषण दीक्षित ने बताया कि 3 नवम्बर शुक्रवार को पूर्णाहुती व भंडारा आयोजित किया जाएगा।

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