फूलपुर में निकला दसवीं मोहर्रम का ताजिया

 ★                       गणेश प्रसाद द्विवेदी                      ★

फूलपुर। इस्लामी साल का पहला माह मोहर्रम माह से शुरू होता चांद का दीदार होते ही मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में ताजिया बनाना शुरू हो जाता है। इमाम चौक पर रोशनी के साथ अलम (झंडा) लगा दिया जाता है। एक से दस मोहर्रम तक मजलिसों का दौर अधिकांश घरों से लेकर इमाम चौक तक चलता है। जिसमें दास्ताने कर्बला पर बयान किया जाता है। हजरत इमाम हुसैन और बहत्तर साथियों के बारे में बतलाया जाता है। एक तरफ इमाम हुसैन और उनके बहत्तर साथी मैदान ए कर्बला में तत्कालीन बादशाह यजीद के फौजों के सामने थे। यजीद इमाम की बैयत लेना चाहता था। परंतु इमाम ने उनके हुक्म को ठोकर मारकर जंग करना बेहतर समझा और कर्बला की भीषण जंग हुई। जिसमें इमाम और उनके बहत्तर साथी शहीद हुए। उनके घर की पर्दानशीनो को खुले सिर कूफा के बाजारों में घुमाया गया। फौजियों द्वारा इमाम का कटा सिर व घर के महिलाओं को यजीद के दरबार में पेश किया।


यादें हुसैन में कर्बला में स्थित रौजये हुसैन की तर्ज पर ताजिया बनाया जाता है। जिसे बड़े अकीदत व एहतेराम से निकालकर मोहल्लो में घुमाकर इमाम चौक पर रखा जाता है। जहां अकीदत मंद फातेहा दिलाते हैं। सबीलें लगाते है नौहे पढ़कर जंजीरों और आग का मातम करते हैं। जिसे देखने के लिए अकीदत मन्दो की भीड़ लगी होती है। क्षेत्र के फूलपुर कस्बे से ग्रामीण क्षेत्र भुलई का पूरा, बाबूगंज,बीरकाजी,कोडापुर,सलमापुर, दीवानगंज, भंभई, शाहापुर,कोनार,अगहुआ, मैलहन,पंहसी, सराय खुन्दमीर,कुसेहटा,सौरहा, मिश्रापुर आदि गांवों में नवी मोहर्रम की रात में ताजिया चौक पर रखकर रातभर कर्बला की दर्दनाक दास्तान बयान करके इमाम को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। दसवीं मोहर्रम का ताजिया कर्बला तक जुलूस सहित ले जाकर वहां ताजिये पर चढ़े फूलों को दफन किया जाता है। फूलपुर में ताजिया कमेटी के अध्यक्ष बलागत हुसैन तथा मैलहन में समाजसेवी महमूद खान के नेतृत्व में सारे आयोजन शांति एवं सौहार्दपूर्ण माहौल में मनाए गए।

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