जातिवादी संगठन समाज में फैला रहे अराजिकत युवाओं पर पड रहा गलत प्रभाव

महेश निषाद

 आज के समाज में जातीय चिंतन अत्यंत कष्टप्रद एवं चिंतनीय है। हम अखंड भारत की कल्पना तो करते हैं। परंतु हमारा मार्ग प्रशस्त नहीं हो पाता उसका केवल मात्र एक ही कारण है कि हम विघटित एवं विभाजित हैं।                                              सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था में हमको यथा उचित स्थान भी सर्व समाज के द्वारा प्राप्त होता है परंतु हम भूल जाते हैं सबके सहयोग और सब के स्नेह से यह उत्तम स्थान हमको प्राप्त हुआ है। किसी एक जाति विशेष से ना तो समाज का कल्याण हो सकता है ना अपने राष्ट्र का।                                समाज और राष्ट्र उसी को लोकप्रियता प्रदान करता है जो सबका है और सबके हित का चिंतन रखता है।वर्ण भेद ही हमारे पतन का कारण है।हम सब मिलकर यही प्रयास करें कि एक मत एक विचार और एक दिशा पर चले ताकि आने वाला हमारे राष्ट्र का भविष्य स्वर्णिम हो और अखंड भारत की कल्पना पूर्ण हो और इसी में हमारा और हमारे राष्ट्र गौरव निहित है।

महेश कुमार निषाद


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