*"पुड़िया" के "सहारे" ही आगे बढ़ता रहा है "आंगनवाड़ी" कार्यालय*
हरीश शुक्ल
👉अधिकारियों को पैसे देने के नाम पर सुपरवाइजर ने आवेदक से पुड़िया के रूप में मांगा थी घूस!
👉कार्यकत्रियों से हर महीने होती रही है लाखों की वसूली!
👉इकट्ठा होने वाली धनराशि का किया जाता बंदरबांट!
👉पुड़िया बम छोड़ने वाली सुपरवाइजर के निलंबन की तैयारी!
👉जांच कमेटी ने भी सौंप दी अपनी रिपोर्ट,दोष सिद्ध!
👉जीरो टॉलरेंस वाली भाजपा सरकार में वसूली का चलता बड़ा खेल!
👉सरकारी कार्यालयों से लेकर थानों तक में गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं!
✍🏿 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भर्ती के मामले में सुपरवाइजर विमला शर्मा द्वारा फोड़े गए पुड़िया(पैसों)बम ने भले ही हलचल मचाई हो और भर्तियों को संदिग्धता के दायरे में लाकर खड़ा किया हो लेकिन हकीकत में तो बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग पुड़िया के सहारे ही आगे बढ़ता रहा है। हर महीने कार्यकत्रियों से लाखों रुपए की होने वाली वसूली का बंदरबांट विभाग के कर्ताधर्ता ही लंबे समय से करते आ रहे हैं।वसूली में मस्त घूसखोरों ने हुईं 353 नई भर्तियों में नोडल अधिकारी से लेकर कमेटी एवं जिले के मुखिया तक को नहीं बख्शा। अब पुडिया की वायरल लेडी विमला शर्मा पर निलंबन की कार्रवाई की तैयारी है जिसकी रिपोर्ट भी निदेशक को भेज दी गई। जबकि उसके खिलाफ मुकदमा पहले ही दर्ज हो चुका है।
फतेहपुर जिले के 13 विकास खण्डों की 816 ग्राम पंचायतों सहित नगरीय क्षेत्रों में संचालित होने वाले 2445 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे ही नहीं चल रहे हैं।नगरीय क्षेत्र में तो वसूली छात्र संख्या के हिसाब से ₹2000 से ₹3500 के बीच की जा रही है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 25 फ़ीसदी दी जाने वाली धनराशि पर कमीशन के तौर पर लिए जाने की बात आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां बता रही हैं। खेल जमीनी स्तर पर भी है जहां आंगनबाड़ी केंद्रों में न के बराबर नौनिहाल हैं और सेटिंग-गेटिंग के चलते धड़ल्ले से केंद्रों का संचालन हो रहा है। इसी कमजोर नब्ज को दबाकर विभागीय अफसर वसूली का खेल खेलते आ रहे हैं। जैसे ही जिले में 353 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भर्ती के आवेदन मांगे गए वैसे ही यहां दलालों ने अपने पैर पसार दिए।सुपरवाइजर से लेकर कई सीडीपीओ तक ने अपने-अपने वसूली के कारिंदे मैदान में उतार दिए।
वसूली का विस्फोट हुआ तो जिलाधिकारी रविंद्र सिंह के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीना ने दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी।जांच हुई तो दोष पाया गया है।बाल विकास परियोजना अधिकारी साहब सिंह यादव ने पहले ही सुपरवाइजर पर मुकदमा दर्ज करा दिया है।निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार को निलंबन के लिए लिखा है जबकि जांच कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट दे दी है।जिला प्रशासन की ओर से निदेशक को कार्रवाई के लिए एक और पत्र भेजा गया है। अब जब मामला सामने आ गया तो जांच से लेकर सारी कार्रवाइयां की जा रही हैं लेकिन अंदर खाने जिस तरीके से भ्रष्टाचार का दीमक लगा हुआ है कि बिना पैसों के लोगों के काम ही नहीं हो रहे हैं। बाल विकास परियोजना कार्यालय तो पहले से ही वसूली का सरताज रहा है। जीरो टॉलरेंस वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए जिले में ही एक नहीं अनगिनत ऐसे मामले हैं। सरकारी कार्यालय एवं थाने गरीबों के लिए लूट के अड्डे बने हुए हैं। दो अन्य सीडीपीओ को भी ऐसे ही कारनामों के लिए नोटिस जारी की गई है। हो कुछ भी लेकिन योगी-राज में ईमानदारी के नाम पर भ्रष्टाचारियों की खूब ठाठ है और सत्ताधारी है कि ईमानदारी की लकीर पीटते नहीं थक रहे हैं।
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