मौसम पूर्वानुमान ( वैधता: दिनांक 04 अप्रैल, 2023 से 08 अप्रैल, 2023 तक)

 आसिफ़ रजा 

भारत मौसम विज्ञान विभाग की ओर से फतेहपुर जिले में अगले 5 दिनों के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक हल्के बादल छाए रहने की संभावना है, लेकिन इसके कारण बारिश की कोई संभावना नहीं रहेंगी। अधिकतम तापमान 35.0 से 37.0 डिग्री सेंटीग्रेड जबकि न्यूनतम तापमान 19.0 से 20.0 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहेगा। हवा की दिशा ज्यादातर उत्तर पश्चिमी से उत्तर पूर्वी होगी और हवा की गति सामान्य बने रहने की संभावना है।

किसानों को सलाह दी जाती हैं कि जायद की खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें। यदि जायद की फसलों की बुवाई नहीं की है तो, बुवाई जल्द से जल्द पूरी करें। गेहूं की कटाई के बाद खाली खेतों की गहरी जुताई करें। यदि कटी हुई फसल बारिश में भीग गई है तो उसे धूप में अच्छी तरह सुखाकर मड़ाई के बाद संरक्षित करें। कीटनाशकों और खरपतवारनाशी रसायनों के लिए, उपकरणों को साफ पानी से धोकर अलग-अलग ही उपयोग करें और हवा के विपरीत दिशा में खड़े होकर कीटनाशकों और खरपतवारनाशी रसायनों का छिड़काव न करें। छिड़काव शाम के समय करना चाहिए, हो सके तो छिड़काव के बाद खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साबुन या हैंड वॉश से धोना चाहिए तथा कपड़े धोकर नहा लेना चाहिए।

फ़सल संबंधित सलाह

गेहूँ के फसल की कटाई के पश्चात गट्ठर अवश्य बांधे ताकि तेज हवाओ की वजह से उपज उड़ न सके तथा मड़ाई का कार्य सायंकाल व रात्रि के समय हवा शांत होने पर करे। गेहू की फसल में चूहों का प्रकोप दिखाई देने पर जिंक फास्फाइड से बने चारे अथवा एल्युमिनियम फास्फाइड की टिकिया का प्रयोग करें। चूहों की रोकथाम के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करें।

चने की फसलों की कटाई प्रातः काल के समय तथा मड़ाई का कार्य सायंकाल के समय करे। चने की फसल में 85 % फलिया सुनहरे रंग की दिखाई देने पर फसलों की कटाई करें।

मक्के की फसल में तना बेधक /प्ररोह मक्खी कीट का प्रकोप दिखाई देने की संभावना है अतः इसके रोकथाम हेतु इमामेक्टिन बेंजो बें एट 5 % एस जी 4 ग्राम /हेक्टेयर अथवा डाइमेथोएट 30% ईसी 1.0 लीटर/हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जायद मक्का की संकुल प्रजातियों के लिए अनुशंसित - तरुण, नवीन, माही, कंचन, गौरव, स्वेता, आज़ाद उत्तम और शंकर प्रजातियों - प्रकाश, डाइक्लब- 7074, डाइक्लब- 9108, डाइक्लब- 9208, डिकलब- 9141, डाइक्लब- 9165, डाइक्लब - 9217, PHB-8144, डेक्कन 115, MMH-133 आदि। किसी एक प्रजाति को बोने के लिए खाद और बीज की व्यवस्था करके बुआई करें। मक्का की संकुल प्रजातियों के लिए 20-25 किग्रा बीज/हेक्टेयर तथा शंकर प्रजातियों के लिए 18-20 किग्रा बीज/हेक्टेयर की दर से बुआई करें।

उर्द की फसलों को खरपतवार से मुक्त रखें। उर्द की फसल में थ्रिप्स/हरे फुदके कीट का प्रकोप दिखाई देने की संभावना है अतः इसके रोकथाम हेतु आक्सीडेमेटान-मिथाइल 25% ईसी या डाईमेथोएट 30% ईसी 1.0 लीटर/हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

जायद के मौसम में मूंग की बुवाई के लिए केएम 2195, केएम 2241, मेहा, पूसा विशाल, आईपीएम 2-3 और सम्राट किस्में उपयुक्त हैं। जायद के मौसम में 20-25 किग्रा0 प्रति हे0 बीज दर से प्रयोग करना चाहिए। मूंग के बीज की बुवाई से पहले बीज को 2.5 ग्राम थीरम+1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें और फिर 10 किग्रा बीज को राइजोबियम और पीएसबी कल्चर के एक-एक पैकेट से उपचारित करें। मूंग की बुआई के लिए कतार से कतार की दूरी 25-30 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखनी चाहिए। खरपतवारों के नियंत्रण के लिए पैंडीमेथालिन 30 ई.सी. (स्टाम्प) 3.3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के तीन दिन के अंदर छिड़काव करें।

प्याज की फसल में बैंगनी धब्बा रोग के प्रकोप की संभावना रहती है, अतः इसके नियंत्रण के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 0.3% (3 ग्राम/लीटर पानी) या मैनकोजेब 0.25% (0.25 ग्राम/लीटर पानी) की दर से 3-4 बार साफ आसमान के मौसम में 15-20 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। ग्रीष्म कालीन मौसम में बोई जाने वाली सब्जिओं जैसे- भिण्डी, तोरी, खीरा, करेला, लौकी एवं कद्दू आदि की बुवाई एवं टमाटर , बैगन एवं मिर्च की तैयार पौध की रोपाई शीघ्र पूरा करे।

आम के फलों को गिरने से बचाने के लिए बागों की सिंचाई करें अथवा एसिटिक एसिड के 15 पीपीएम या 4 मिलीलीटर प्लेनोफिक्स प्रति 9 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। आम के बागों में भुनगा एवं लस्सी कीट के प्रकोप की संभावना रहती है, अतः इसकी रोकथाम के लिए क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी 2.0 मिली या फेनिट्रोथियन 50 ईसी 3.0 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जाता है।

पशुपालन

पशुओं को हरे व सूखे चारे के साथ पर्याप्त मात्रा में अनाज और खनिज मिश्रण दें। पशुओं में डीवरमिंग (पेट के कीड़ों की दवा) अवश्य कराएं। पशुओं में खुरपका-मुंहपका और गलाघोटू रोग का टीकाकरण अवश्य कराएं। पशुओं को दिन में 3-4 बार ताजा और शुद्ध पानी जरूर पिलाएं। पशुओं को साफ-सुथरी जगह पर रखें।


वसीम खान

विषय वस्तु विशेषज्ञ

कृषि मौसम विज्ञान

कृषि विज्ञान केन्द्र, फतेहपुर


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